रक़्स<ref>नाच, नृत्य</ref>
वो रूप रंग राग का पयाम ले के आ गया
वो कामदेव की क्मान जाम ले के आ गया
वो चाँदनी की नर्म-नर्म आँच में तपी हुई
समन्दरों के झाग से बनी हुई जवानियाँ
हरी-हरी रविश पे हमक़दम भी हमकलाम भी
बदन महक-महक के चल
कमर लचक-लचक के चल
क़दम बहक-बहक के चल
वो रूप रंग राग का पयाम ले के आ गया
वो कामदेव की कमान जाम ले के आ गया
इलाही ये बिसाते-रक़्स<ref>नृत्य का आँगन</ref> और भी बसीत<ref>और भी व्यापक हो</ref> हो
सदाए तीशा<ref>कुदाल चलाने वाले की आवाज़</ref> कामरा<ref>कामयाब</ref> हो कोहकन<ref>पहाड़ काटने वाला अर्थात फ़रहाद</ref> की जीत हो ।
शब्दार्थ
<references/>