Last modified on 3 मई 2011, at 15:28

`रेखाओं’ क्षणिकाएँ-1/रमा द्विवेदी

Ramadwivedi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:28, 3 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }} <poem> १- रेखाओं की भी, होती है एक इबा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


१- रेखाओं की भी,
होती है एक इबारत,
पढ़ सको तो पढ़ लेना ।

२- रेखाएँ!
सोच-समझ कर खींचना
ये अभिशाप भी बन सकती हैं
और
वरदान भी ।

३- हस्त रेखाएँ,
बताती हैं भाग्य,लेकिन
क्या कोई सच में,
इन्हें पढ़ पाया है।

४- भाग्य रेखाएँ
यदि कोई पढ़ पाता
तब हर किसी का भाग्य,
सौभाग्य होता|

५- रेखाओं का समीकरण,
अक्षर की व्यतुपत्ति,
शब्द निर्माण,
और शब्द रचते हैं,
गीता,पुराण,
महाकाव्य और महाभारत।