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जल / नरेश अग्रवाल

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जब सारे स्रोत सूख जाते हैं
जमीन में फिर भी जल रहता है
थोड़ी-सी आँख खोली नहीं मिट्टी की
कि पानी दिखलाई देने लगा तल से।

इन औरतों को यह पानी खींचते देख
लगता है धरती सचमुच उदार है
हर जीभ मिठास से भर देती है
और ये हाथ जिन्हें
हमेशा कमजोर समझा गया
अभी भी उतने ही मजबूत हैं
हर गृहस्थी का कण्ठ तर करते हुए ।