अपनी असंख्य डालियों का बोझ उठाये
चुपचाप खड़ा है यह पेड़
और इसके भीतर
मैं देखता हूं
एक बोझ ढोने वाली
औरत का प्रतिबिम्ब ।
अपनी असंख्य डालियों का बोझ उठाये
चुपचाप खड़ा है यह पेड़
और इसके भीतर
मैं देखता हूं
एक बोझ ढोने वाली
औरत का प्रतिबिम्ब ।