Last modified on 15 मई 2011, at 03:32

72 यक्ष / वसंत जोशी

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:32, 15 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>समूह में हिनहिना रहे हैं 72 यक्ष मेरे इर्द-गिर्द हिनहिनाहट से उड…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

समूह में
हिनहिना रहे हैं
72 यक्ष
मेरे इर्द-गिर्द

हिनहिनाहट से
उड़ रहे हैं फेन
थकित अश्वों के

कितनी दूरी लांघ कर पहुंचे होंगे?
फ्लेमिंगो जैसे श्वेत
मानो देव-दूत

तीर-कमान की जगह
बंदूकें होंगी
उनके कांधों पर
रुके यहीं
रुकेंगे या आगे जाएंगे
मालूम नहीं

टेकरी चढ़ने के बाद
उतरने में असमर्थ
श्रद्धा में कैद
शृखलित
थकित
श्वेत 72 यक्ष
पंक्तिबद्ध समूह में


अनुवाद : नीरज दइया