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72 यक्ष / वसंत जोशी

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समूह में
हिनहिना रहे हैं
72 यक्ष
मेरे इर्द-गिर्द

हिनहिनाहट से
उड़ रहे हैं फेन
थकित अश्वों के

कितनी दूरी लांघ कर पहुंचे होंगे?
फ्लेमिंगो जैसे श्वेत
मानो देव-दूत

तीर-कमान की जगह
बंदूकें होंगी
उनके कांधों पर
रुके यहीं
रुकेंगे या आगे जाएंगे
मालूम नहीं

टेकरी चढ़ने के बाद
उतरने में असमर्थ
श्रद्धा में कैद
शृखलित
थकित
श्वेत 72 यक्ष
पंक्तिबद्ध समूह में


अनुवाद : नीरज दइया