जैसे सीधे-सीधे देख नहीं सकते अपना चेहरा
जान नहीं सकते
सीधे-सीधे अपने चेहरे के बारे में
जानने के लिए या तो देखना होगा आईना
या विश्वास करना पड़ेगा किसी के बताये पर
वह जो बतायेगा
कितना सही होगा, कितना गलत
यह जानने के लिए भी जरूरी है कोई न कोई माध्यम
यह माध्यम आईना भी हो सकता है
नदी का परदर्शी जल भी
नदी भी निर्भर है बादल पर
बादल भी निर्भर है सूरज पर
धूप, हवा, पानी सब कुछ निर्भर है
कहीं न कहीं किसी पर
बचा लीजिए अपनी नदी
उसका पारदर्शी जल
बोलने दीजिए आईने को सब कुछ सच-सच
अपने आपको जानने के लिए जरूरी है इन सबका होना।