Last modified on 21 मई 2011, at 01:41

भारत भाग्य विधाता / नागार्जुन

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:41, 21 मई 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ख़ून-पसीना किया बाप ने एक, जुटाई फीस
आँख निकल आई पढ़-पढ़के, नम्बर पाए तीस
शिक्षा मंत्री ने सिनेट से कहा--"अजी शाबाश !
सोना हो जाता हराम यदि ज़्यादा होते पास"
फेल पुत्र का पिता दुखी है, सिर धुनती है माता
जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता

(1953 में रचित)