Last modified on 21 मई 2011, at 04:22

तुम्हारा आसमान / नवनीत पाण्डे

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:22, 21 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवनीत पाण्डे |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem>बहुत छोटा है तु…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बहुत छोटा है तुम्हारा आसमान
मेरी आकांक्षाओं-इच्छाओं से
भले ही घिरे हैं
घोर अपवादों और उपहासों से
मेरे लक्ष्य और सिध्दांत
पर अब तो-
करने ही होंगे स्वीकार
तुम्हें मेरे व्यवहार
मेरे विचार
हां!
मैं अभी भी उसी पहली सीढी पर खड़ा
तुम्हें पुकार रहा हूं
जिसे तुम्हीं अब दे रहे हो
सर्वोच्च की संञा