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मेरी बारी / उदय प्रकाश

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पाँच साल से

मरे हुए दोस्त को

चिट्ठी डाली आज


जवाब आयेगा

एक दिन


कभी भी


सीढ़ी, शोर,

टेबिल, टेलिफ़ोन से भरे

भवन की

किसी भी एक

मेज़ पर

मरा हुआ


मैं उसे पढ़ते हुए

हँसूँगा


कि लो,

आख़िर मैं भी !