Last modified on 22 मई 2011, at 21:42

मुक्ति पथ / राकेश प्रियदर्शी

योगेंद्र कृष्णा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:42, 22 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राकेश प्रियदर्शी |संग्रह=इच्छाओं की पृथ्वी के …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


हम श्रम करते रहे और तुम आदेश,

हमारा सिर्फ कर्त्तव्य रहा और तुम्हारा अधिकार


हम हमेशा हाशिए पर रहे और तुम केन्द्र में,

हम निहत्थे रहे और तुम शास्त्र-शस्त्र से सुसज्जित


लेकिन अब हम चुप नहीं रहेंगे,

हम अपने अवसर और सम्मान लेकर रहेंगे


तुम जिस पथ से करते रहे शोषण व अत्याचार,

वही सत्ता-पथ बनेगा दलितों की मुक्ति का आधार