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प्रार्थना / हरीश करमचंदाणी

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देना
इतनी शक्ति भर
कि अन्याय को न सहन कर सके
लाख शत्रु बढ़ जाये
हो
इतनी शक्ति भर
कि शामिल न हो उनके कृत्यों में
शक्ति अन्याय की लाख बढ़ जाये