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कुछ मुक्तक / रेखा राजवंशी

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1

दीप वो दीप है जो जल के रौशनी कर दे,
गुल वही गुल है जो गुलशन में ख़ुशबुएँ भर दे ।
ज़िंदगी यूँ तो हर इंसान जिया करता है,
आदमी वो है जो मुर्दों में ज़िंदगी भर दे ।

2.

जहाँ होली, दीवाली, ईद और क्रिसमस मनाते हैं,
जहाँ पर राम और रहमान पढ़ने साथ जाते हैं ।
जहाँ मिट्टी बनी पावन नानक, बुद्ध, गांधी से,
उसी भारत की यादों को कलेजे से लगाते हैं ।

3.

लगा तुलसी का एक पौधा वतन को याद करते हैं,
सजा मंदिर, ख़ुदा से हम यही फ़रियाद करते हैं ।
कि मेरे देश की करना हिफाज़त राम और मौला,
कि कुछ आतंकवादी देश को बर्बाद करते हैं ।

4.

बना कर शून्य जिसने ज्ञान अंकों का दिया जग को
सिखाकर ध्यान और योग बनाया स्वस्थ तन-मन को ।
सुना कर धर्म वेदों का, पढ़ा कर कर्म गीता का,
नमन भारत तुझे करना सिखाया प्रेम दुश्मन को ।