Last modified on 27 जून 2007, at 23:51

तेरी हँसी / नचिकेता

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:51, 27 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नचिकेता }} Category:गीत तुम तो किसी पहाड़ी झरने सी हँसती ह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


तुम तो

किसी पहाड़ी झरने सी

हँसती हो


तेरे हँसते ही

बनचम्पा खिल जाती है

शांत झील की सतह अचानक

हिल जाती है

पुरवाई में

शीतलता बनकर

गंसती हो


सुनकर हँसी तुम्हारी

हवा अधिक अलसाती

गदराई सरसों की काया

है अंगड़ाती

आँखों में

मीठे सपने बनकर

धँसती हो


सुनकर हँसी

मुझे भी कुछ-कुछ हो जाता है

बौराया मन स्वप्न-लोक में

खो जाता है

पोर-पोर में

उतर रही तुम

बन चुस्ती हो