टोकती नहीं
स्कूल जाते समय बच्चों को
लौटते वक़्त उन्हें
पास बुलाती है
बूढ़ी बेरिया
उनसे करती है
बेरों की भाषा में
खट्टी-मीठी बातें
उनके प्रेम में जीवन-भर
अभिभूत
माँ-सी बेरिया
रख ही नहीं पाती याद
बच्चों ने उस पर
कब कितने
पत्थर उछाले
टोकती नहीं
स्कूल जाते समय बच्चों को
लौटते वक़्त उन्हें
पास बुलाती है
बूढ़ी बेरिया
उनसे करती है
बेरों की भाषा में
खट्टी-मीठी बातें
उनके प्रेम में जीवन-भर
अभिभूत
माँ-सी बेरिया
रख ही नहीं पाती याद
बच्चों ने उस पर
कब कितने
पत्थर उछाले