Last modified on 28 जून 2007, at 01:58

क्रम / अशोक चक्रधर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:58, 28 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक चक्रधर }} एक अंकुर फूटा पेड़ की जड़ के पास । एक कि...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


एक अंकुर फूटा

पेड़ की जड़ के पास ।


एक किल्ला फूटा

फुनगी पर ।


अंकुर बढ़ा

जवान हुआ,

किल्ला पत्ता बना

सूख गया ।


गिरा

उस अंकुर की

जवानी की गोद में

गिरने का ग़म गिरा

बढ़ने के मोद में ।