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चेतन जड़ / अशोक चक्रधर

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प्यास कुछ और बढ़ी

और बढ़ी ।


बेल कुछ और चढ़ी

और चढ़ी ।


प्यास बढ़ती ही गई,

बेल चढ़ती ही गई ।


कहाँ तक जाओगी बेलरानी

पानी ऊपर कहाँ है ?


जड़ से आवाज़ आई--

यहाँ है, यहाँ है ।