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फिर कभी / अशोक चक्रधर

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एक गुमसुम मैना है

अकेले में गाती है

राग बागेश्री ।


तोता उससे कहे

कुछ सुनाओ तो ज़रा

तो

चोंच चढ़ाकर कहती है

फिर कभी गाऊँगी जी ।