Last modified on 31 मई 2011, at 15:52

काली नायिका / माया मृग

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:52, 31 मई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=माया मृग |संग्रह=...कि जीवन ठहर न जाए / माया मृग }} {{KKC…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


...और अब
जबकि मैंने अपनी नायिका के
होठों पर रंगी लिपस्टिक-पोंछ दी है,
उसके काले होंठ
सुन्दर ना सही-पर सच्चे तो हैं।
उसके मेंहदी रंगे हाथों से
कहीं अच्छे हैं,
उसके खुरदरे, कटे-फटे, कुरूप हाथ
जिनमें साफ देखता हूँ मैं
सुन्दरता के मापदण्डों को
बदल डालने के मजबूत संकल्प !
मैं- जबकि कलम पकड़े
निठल्ला हो बैठा हूँ
मेरी नायिका-कस्सी-फावड़ा थामे
मुझे सीखा रही है
कविता की रचना नहीं
कविता उपजाना
और लिख जाना,
सुनहरी अक्षरों को नहीं
सुनहरी दानों का इतिहास।