Last modified on 5 जून 2011, at 13:28

फूल आँगन में उगा देता है / अशोक आलोक

योगेंद्र कृष्णा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:28, 5 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा |संग्रह= }} <poem> फूल ऑंगन में उगा दे…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फूल ऑंगन में उगा देता है
आस जीने की जगा देता है
जब भी आता बहार का मौसम
आग दामन में लगा देता है
ग़ैर से उम्मीद भला क्या रखिए
जबकि अपना ही दगा देता है
ज़ख़्म देने का सिलसिला रखकर
जो भी देता है सगा देता है
साथ रखता है उम्रभर लेकिन
दिल की चौखट से भगा देता है