Last modified on 6 जून 2011, at 12:43

नया / नील कमल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:43, 6 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नील कमल |संग्रह=हाथ सुंदर लगते हैं / नील कमल }} {{KKCatKa…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कुछ नया न होकर भी
नया-नया है घर अबकी दीवाली

दीवारों, छतों से साफ़ कर दिए हैं
मकड़ियों के जाले

आलमारी से पोंछ दी है जमी धूल
चीज़ों की जगहें ज़रा बदल दी हैं

बिस्तर झाड़-पोंछ कर लगा दिया है
अलग कोने में
आलमारी चली गई है बिस्तर की जगह

बुक-शेल्फ़ का शीशा चमक रहा है
पूरब वाली खिड़की के पास

क़िताबें और पत्रिकाएँ
करीने से सजी हैं छोटी सेफ़ के ऊपर

अल्मूनियम का बड़ा बक्सा
हमारी शादी की यादों के साथ है मौज़ूद
दक्खिन वाली दीवार से सटा

बक्से के ऊपर रजाई-कंबल रख दिए हैं
जाड़े की तैयारी में

सच में जब नया कुछ भी होने की गुंजाइश
न बची हो
ऐसे समय में क्राँति आती है
बिस्तर बदलने की कोशिश में
इतिहास बनता है
चीज़ों की जगहें बदल देने भर से

अगली दीवाली के लिए सोचता हूँ
कि यह नुस्ख़ा बता आऊँ चुपके से

किसी व्यस्त चौराहे पर
कम से कम एक पोस्टर
ज़रूर लगा देना चाहिए ।