Last modified on 8 जून 2011, at 13:33

हम से भागा न करो दूर गज़ालों की तरह / जाँ निसार अख़्तर

Dvthaker (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:33, 8 जून 2011 का अवतरण (The gazal as contribution. Just no idea whether I should post or what still first try.)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम से भागा न करो दूर गज़ालों की तरह हमने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की तरह

खुद-बा-खुद नींद-सी आँखों में घुली जाती है महकी महकी है शब्-ए-गम तेरे बालों की तरह

और क्या इस से जियादा कोई नरमी बरतूं दिल के ज़ख्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह

और तो मुझ को मिला क्या मेरी मेहनत का सिला चाँद सिक्के हैं मेरे हाथ में छालों की तरह

ज़िन्दगी जिस को तेरा प्यार मिला वो जाने हम तो नाकाम रहे चाहने वालों की तरह .