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कही कोई तो रास्ता कही जो जाता होगा

माना मंजिल पता नहीं कही आइना होगा

युही नहीं थी उसके चहरे पे उदाशी इतनी

जरुर वो कही किसी हादशे से गुजरा होगा

गमो का बोझ उठाये तपती रेत पे चलना

...तुम्ही कहो इससे बड़ा क्या होसला होगा

यक़ीनन में बखुदी में भी पहचान लूँगा तुझे

जब कभी कही मेरा तुझसे सामना होगा

में जेसा भी हू बेअदब बेतमीज ठीक हू

ऊपर वाला मेरा हिसाब भी रखता होगा

माना मंजिल पता नहीं कही आइना होगा
                    अनीता मलिक .

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