Add_poems.png (160 × 31 चित्रतत्व, संचिका का आकार: 7 KB, माइम प्रकार: image/png)
कही कोई तो रास्ता कही जो जाता होगा
माना मंजिल पता नहीं कही आइना होगा
युही नहीं थी उसके चहरे पे उदाशी इतनी
जरुर वो कही किसी हादशे से गुजरा होगा
गमो का बोझ उठाये तपती रेत पे चलना
...तुम्ही कहो इससे बड़ा क्या होसला होगा
यक़ीनन में बखुदी में भी पहचान लूँगा तुझे
जब कभी कही मेरा तुझसे सामना होगा
में जेसा भी हू बेअदब बेतमीज ठीक हू
ऊपर वाला मेरा हिसाब भी रखता होगा
माना मंजिल पता नहीं कही आइना होगा
अनीता मलिक .
फ़ाइल का इतिहास
फ़ाइल पुराने समय में कैसी दिखती थी यह जानने के लिए वांछित दिनांक/समय पर क्लिक करें।
दिनांक/समय | अंगूठाकार प्रारूप | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
---|---|---|---|---|---|
सद्य | 09:51, 27 अगस्त 2010 | 160 × 31 (7 KB) | Firstbot (चर्चा | योगदान) |
- आप इस फ़ाइल को अधिलेखित नहीं कर सकते।
फ़ाइल का उपयोग
निम्नोक्त पृष्ठ में इस फ़ाइल की कड़ियाँ हैं: