Last modified on 11 जून 2011, at 15:01

गीतावली उत्तरकाण्ड पद 11 से 20 तक/पृष्ठ 2

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:01, 11 जून 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

(12)
राग भैरव

प्रातकाल रघुबीर-बदन-छबि चितै, चतुर चित मेरे |
होहिं बिबेक-बिलोचन निरमल सुफल सुसीतल तेरे ||

भाल बिसाल बिकट भ्रुकुटी बिच तिलक-रेख रुचि राजै |
मनहुँ मदन तम तकि मरकत-धनु जुगुल कनक सर साजै ||

रुचिर पलक लोचन जुग तारक स्याम, अरुन सित कोए |
जनु अलि नलिन-कोस महँ बन्धुक-सुमन सेज सजि सोए ||

बिलुलित ललित कपोलनिपर कच मेचक कुटिल सुहाए |
मनो बिधुमहँ बनरुह बिलोकि अलि बिपुल सकौतुक आए ||

सोभित स्रवन कनक-कुण्डल कल लम्बित बिबि भुजमूले |
मनहुँ केकि तकि गहन चहत जुग उरग इंदु प्रतिकूले ||

अधर अरुनतर, दसन-पाँति बर, मधुर मनोहर हासा |
मनहुँ सोन सरसिज महँ कुलिसनि तड़ित सहित कृत बासा ||

चारु चिबुक, सुकतुण्ड बिनिन्दक सुभग सून्नत नासा |
तुलसिदास छबिधाम राममुख सुखद, समन भवत्रासा ||