Last modified on 14 जून 2011, at 19:10

अपना चेहरा भी किसी और का लगा है मुझे / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:10, 14 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


अपना चेहरा भी किसी और का लगा है मुझे
आज दुश्मन की तरह आइना लगा है मुझे

मैं तेरे प्यार के काबिल तो नहीं था, लेकिन
कुछ तेरे दिल में धड़कता हुआ लगा है मुझे

एक खुशबू सी ख्यालों में बसी रहती है
साथ हरदम है कोई खुशनुमा,लगा है मुझे

यह भी ताक़त न रही चार क़दम उठके चलूँ
हाय! कब उनकी गली का पता लगा है मुझे!

पास आते ही निगाहों में खिल उठे हैं गुलाब
फिर कोई अपनी तरफ देखता लगा है मुझे