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संवेदनाओं के क्षितिज / रणजीत

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तुम ठीक कहती हो, प्राण !
सचमुच मैं तुम्हें पूरे दिल से प्यार नहीं करता
पर मैं पूरा दिल कहाँ से लाऊँ ?

मैं तुम्हें कैसे बताऊँ?
कि जब मेरे दिल का एक हिस्सा
तुम्हारे प्यार में खोया हुआ होता है
उसका दूसरा हिस्सा
एक शत्रुतापूर्ण तूफ़ानी समुद्र में
अपनी मंज़िल की ओर बढ़ते जा रहे
एक छोटे से जहाज़ के साथ मंडरा रहा होता है
और वह जहाज़ है:
साम्राज्यवाद के समुद्र में नहीं डूबने का संकल्प लिए हुए क्यूबा ।

और जब मैं तुम्हें अपनी गोद में लिटाये हुए
तुम्हारे केशों में अपनी अँगुलियाँ फिरा रहा होता हूँ
मेरे विचार हाथों में बन्दूकें लिए
वियतनाम के घने जंगलों में घूम रहे होते हैं
और अमेरिकी हवाईजहाज़ों से बरसाए जा रहे
ज़हरीले बमों की किरचें
मेरे चेहरे को लहू-लुहान कर जाती हैं ।

मैं तुम्हें पूरे दिल से प्यार कैसे करूँ
कि जब मेरे कन्धे पर सिर रख कर तुम सो रही होती हो
और कहती हो
कि इस तरह तुम्हारे कन्धे पर सिर रख कर
सोना मुझे इतना अच्छा लगता है
कि चाहती हूँ जन्म-जन्मान्तर तक इसी तरह पड़ी रहूँ
तभी मेरी आँखों में सुदूर अतीत का एक दृश्य कौंध जाता है:
हावर्ड फ़ास्ट के उस आदिविद्रोही स्पार्टकस का दृश्य
और छह हज़ार ग़ुलामों की लाशें मेरे दिमाग़ में बिछ जाती हैं
और तुम्हारे माँसल गालों को छूती हुई मेरी अँगुलियों में
राइफ़ल के बोल्ट का एक कठोर स्पर्श जागने लगता है ।

तुम ठीक कहती हो
सचमुच मैं तुम्हें कभी पूरे दिल से प्यार नहीं कर पाता

लेकिन प्यार ही क्यों ?
कोई ख़ुशी, कोई ग़म भी तो मैं पूरे दिल से नहीं मना पाता
मेरी हर ख़ुशी पर सैकड़ों अवसादों के साए हैं
और मेरे हर अवसाद की कारा में
सैकड़ों आशाओं की खिड़कियाँ :
कि जिस दिन मैं 'राहुल' के प्रकाशन की ख़ुशी मना रहा था
साम्राज्यवाद का जुआ तोड़ फेंकने वाले
दो पड़ोसी देशों की सेनाएँ
हिमालय की बर्फ़ को इन्सानी खून से रंग रही थीं

कि अपनी नौकरी छूटने की ख़बर की उदासी
मैंने नाज़िम हिक़मत की कविता
'तुम्हारे हाथ और यह झूठ' से काटी थी
और कई महीनों की बेकारी और भटकन के बाद
जब मुझे फिर काम मिला
अल्जीरिया के स्वतंत्रता आन्दोलन को
सीक्रेट आर्मी आरगेनाइजेशन की हत्याएँ आतंकित कर रही थीं ।

और उस दिवाली की रात तुम्हें याद है ना ?
जब हम मोमबत्तियों की क़तारों में
खिले हुए बच्चों की तरह ख़ुश हो-हो कर
फुलझड़ियाँ और पटाख़े चला रहे थे
मैं एकाएक उदास हो उठा था
क्योंकि एक पटाख़े की आवाज़
मुझे उन गोलियों की आवाज़ के करीब ले गई
जिनसे बग़दाद की सड़कों पर
मेरे अरमानों के सीने दाग़े गए थे ।

तुम ठीक कहती हो कि मैं...
लेकिन मैं क्या करूँ?

ज़िन्दगी ने मेरी संवेदनाओं के क्षितिज इतने फैला दिए हैं
कि दुनिया के कोने-कोने में मैं अपने दोस्तों
और दुश्मनों को देख रहा हूँ
मेरे दोस्त : जो मेरे दुश्मनों से
एक निर्णायक लड़ाई में जूझ रहे हैं
और पेरिस के किसी चौराहे पर
फहराता हुआ
मज़लूमों का एक बुलन्द इरादा
जंजीबार में उठी हुई मुट्ठियों का एक जुलूस
न्यूयार्क में रंगभेद के खिलाफ़ कड़कता हुआ एक नारा
मुझे इस तरह रोमांचित कर जाता है
जिस तरह महीनों की जुदाई के बाद तुम्हारा आलिंगन ।

और टोकियो में एक मज़बूरन टूटी हुई हड़ताल
लियोपोल्डविल में एक गिरफ़्तारी
सिंगापुर में झुकी हुई गर्दनों का
एक वापस लिया हुआ आन्दोलन
मेरे दिल पर अवसाद का इतना बोझ रख जाता है
कि मैं घण्टों तक किसी से बात भी नहीं कर पाता ।