Last modified on 2 जुलाई 2011, at 17:40

अभी आदमी / रणजीत

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:40, 2 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रणजीत |संग्रह=प्रतिनिधि कविताएँ / रणजीत }} {{KKCatKavita‎…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बहुत दूर मंज़िल है, लम्बा सफ़र है
अपने ही अस्त्रों से मरने का डर है
अभी से न ख़ुश हो मनुज की प्रगति पर
अभी आदमी बहुत जानवर है !