Last modified on 7 जुलाई 2011, at 06:24

वह / कविता वाचक्नवी

Kvachaknavee (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:24, 7 जुलाई 2011 का अवतरण (वर्तनी व फ़ॉर्मेट सुधार)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वह


एक बच्चा
ओढ़ता है - अँधियारा
पहनता है - उजियारा
उसकी हस्तरेखाओं में
भविष्य नहीं
है केवल राख
राष्ट्रीय जूठन की,

हड्डियों में हिमाद्रि का गौरव नहीं
ठिठुरन है,

अटे खलिहानों का गर्व नहीं
लालसा है
मुट्ठीभर दाने छिपा भागने की,

मानसून नहाने का चाव नहीं
खीझ है
सूखी ओट न मिलने की,

कहीं न जानेवाली
अपनी यात्रा में
चुराकर भागना है उसे
चप्पलें, रेलगाड़ी से।

वह बच्चा
मेरा है - मेरा अपना
मेरी माटी का जाया
नन्हा...........
यह........।