Last modified on 9 जुलाई 2011, at 01:32

प्यार यों तो सभीसे मिलता है / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:32, 9 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडे…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


पिएगा छकके कोई, कोई घूँट भर को तरसेगा
ये नूर पर तेरे चेहरे से यों ही बरसेगा

गले से लगके नहीं हिचकियाँ रुकेंगी अब
बरसने आया है बादल तो जमके बरसेगा

अभी तो राह में काँटे बिछा रहा है, गुलाब!
कभी ये बाग़ तुझे देखने को तरसेगा