खोखल अँधेरा
कोई एक चेहरा नहीं हैं
कोई चेहरा
उस में से कई चेहरे झाँकते हैं
एक-दर-एक।
पर आखिर जो बच रहता है
वह कोई चेहरा नहीं
सिर्फ अँधेरा है-
सभी चेहरों को अपने में समोता
खिलखिलाता हुआ
खोखर अँधेरा !
(1980)
खोखल अँधेरा
कोई एक चेहरा नहीं हैं
कोई चेहरा
उस में से कई चेहरे झाँकते हैं
एक-दर-एक।
पर आखिर जो बच रहता है
वह कोई चेहरा नहीं
सिर्फ अँधेरा है-
सभी चेहरों को अपने में समोता
खिलखिलाता हुआ
खोखर अँधेरा !
(1980)