सदियों से
हम रहते आए हैं।
किसी न किसी में।
सूरत बन कर
या सीरत बन कर...
बाप का बेटा
बेटे का बेटा
और भी
हमारी चाहना
बढ़ती जाती है...
जीने की...
इच्छा मरती नहीं
आजन्म
फिर मोक्ष का
प्रश्न कैसा।
सदियों से
हम रहते आए हैं।
किसी न किसी में।
सूरत बन कर
या सीरत बन कर...
बाप का बेटा
बेटे का बेटा
और भी
हमारी चाहना
बढ़ती जाती है...
जीने की...
इच्छा मरती नहीं
आजन्म
फिर मोक्ष का
प्रश्न कैसा।