कोपलें
निकल आई हैं-
और रंग दिखाने
लगी हैं...!
सपनों का रंग
तितली
के पंखों पर
धर.... और
बस उड जा....।
धानी रंग
लिपटा ले
शहर आ
गया है!
मूल्यों पर
शहर बरसे है
कहर
बनकर...।
कोपलें
निकल आई हैं-
और रंग दिखाने
लगी हैं...!
सपनों का रंग
तितली
के पंखों पर
धर.... और
बस उड जा....।
धानी रंग
लिपटा ले
शहर आ
गया है!
मूल्यों पर
शहर बरसे है
कहर
बनकर...।