शाम से रास्ता तकता होगा
चांद खिड़की में अकेला होगा
धूप की शाख़ पे तनहा-तनहा
वह मुहब्बत का परिंदा होगा
नींद में डूबी महकती सांसें
ख़्वाब में फूल-सा चेहरा होगा
शाम से रास्ता तकता होगा
चांद खिड़की में अकेला होगा
धूप की शाख़ पे तनहा-तनहा
वह मुहब्बत का परिंदा होगा
नींद में डूबी महकती सांसें
ख़्वाब में फूल-सा चेहरा होगा