Last modified on 26 जुलाई 2011, at 22:28

बरवै रामायण बालकाण्ड / तुलसीदास/ पृष्ठ 1

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:28, 26 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} Category:लम्बी रचना {{KKPageNavigation |पीछे=ब…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बरवै रामायण बालकाण्ड आरंभ
    
बरवै रामायण बालकाण्ड/पृष्ठ-1
( पद 1 से 5 तक) ,
(1)
बड़े नयन कुटि भृकुटी भाल बिसाल।
तुलसी मोहत मनहि मनोहर बाल।।ं।1।
(2)
कुंकुम तिलक भाल श्रुति कुंडल लोल।
काकपच्छ मिलि सखि कस लसत कपोल।2।
(3)
भाल तिलक सर सोहत भौंह कमान ।।
मुख अनुहरिया केवल चंद समान।3।

(4)
तुलसी बंक बिलोकनि मृदु मुसुकानि।
कस प्रभु नयन कमल अस कहौं बखानि।4ा

(5)
चढ़त दसा यह उतरत जात निदान।।
कहौं न कबहूँ करकस भौंह कमान।5।
 
(इति बरवै रामायण बालकाण्ड पृष्ठ 1)

अगला भाग >>