Last modified on 1 अगस्त 2011, at 23:43

चाँद / राजूरंजन प्रसाद

योगेंद्र कृष्णा (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:43, 1 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजूरंजन प्रसाद |संग्रह= }} <poem> आसमान को तका और बर्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आसमान को तका
और बर्फ-सी चमचम
सफेद दरांती की तरह
उतर आया
फेंफड़ों से होकर पूरे जिस्म में
जाना
दूज का चांद था।
(7.6.97)