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साथी / हरीश बी० शर्मा

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साथी !
जिको समै सर हिम्मत बंधावै,
फोड़ो-पड़ियां साथ निभावै
सुख में समझावै
अर
अपां सूं जिकै रो नातो
एक पिछाण बण‘र
लोगां रै सांमी आवै।