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सिरजक / हरीश बी० शर्मा

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जिको
जमीं माथै रैवै है
आज नै समझै
धूळ-बादळां सूं जिकै नैं मतळब कोनी,
आपरो काम ध्यान है
जिकै रै निमत्त आयौ है
जित्तो हुय सकै करणो है
रूकणो नीं है
इसा लोग
इतिहास बणावै है
करमां री कहाणी बतावै है
अवसरां री आस नीं राखै।