Last modified on 8 अगस्त 2011, at 15:48

बदळाव / हरीश बी० शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:48, 8 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=थम पंछीड़ा.. / हरीश बी० शर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


समै रो बदळाव
प्रकृति रो जथारथ
अर काल आज में फरक
साफ निजर आवै
जद नेम बणग्यो बदळाव
तो किण खातर रोकां
बदळाव री नूंवी हवा नैं,
नेमां नैं कानून बणतै
कांईं देर लागै ?
ओ लोकतंत्र है
शासण आपणो
अठै कानून बणतैं नीं
लागतै देर लागै।