Last modified on 8 अगस्त 2011, at 17:35

बरोबरी / हरीश बी० शर्मा

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:35, 8 अगस्त 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश बी० शर्मा |संग्रह=थम पंछीड़ा.. / हरीश बी० शर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


कलम सूं निकळया आखर
निपजावै है नित-नूंवा सबद
रळ-मिळ‘र पवन सूं
गूंजै है गांव-गुवाड़
आणंद रस बरसै
रात सोवणी बणावै
पण ऊगतौ सूरज
अर चमकतो आभो
बाळ देवै है तन-मन
काबू रैवै कोनी
भतूळियो आ ई जावै
बफार सगळी निकळ जावै
बडै-बडै बातेरां नैं ढक देवै है
भतूळियो थमै
साथ-साथ नांव बेळू में गमै
फेर निरायन्त .... शान्ति
सूरज सूं बरोबरी।
सुपनो ही रैय जावै है।