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Butterfly-orange-48x48.png  एक काव्य मोती

आज बसंती चोला तेरा, मैं भी सज लूं, लाल बनूँ :
तू भगिनी बन क्रांति कराली, मैं भाई विकराल बनूँ |

भाई एक लहर बन आया, बहन नदी की धारा है:
संगम है, गंगा उमड़ी है, डूबा कुल किनारा है |
कविता कोश में गोपाल सिंह नेपाली