गूंगा गुड़ के गीत गा रहा है
बहरा सराह रहा है
सजी सभा में
पंगुल पाँव सहला कर बोला -
मैं नाचूँगा ।
अँधा आगे आया
कड़क कर बोला -
तुमने ठेका ले रक्खा है
मुझे भी तो देखने दो !
कलाकार !
लो, सँभालो तुम्हारी क़लम !
अनुवाद : मोहन आलोक