हरेक बारी
बिजाई माथै
बापू री आंख्यां मांय तिरैं हैं
जळमुरगाई
पण खळां ताईं आवता-आवता
गूची मार जावैं हैं
जळमुरगाई
अर
बापू हरेक बारी
जा थमैं हैं
दौ पग पाछै ।
हरेक बारी
बिजाई माथै
बापू री आंख्यां मांय तिरैं हैं
जळमुरगाई
पण खळां ताईं आवता-आवता
गूची मार जावैं हैं
जळमुरगाई
अर
बापू हरेक बारी
जा थमैं हैं
दौ पग पाछै ।