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प्रेम / नारायणसिंह भाटी

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रे थूं कसूंबल सो रंगीलौ
मीठौ मद सूं
हठीलौ पवन सूं
चंचळ पलकां सो
लाज सो लजीजौ
खोड़ीलौ है भंवर भंवरां सो
भोळौ है अचपळौ है ।
धन है मन रौ
सिंणगार जीवण रौ
मन-आंख्यां रौ ओखद
पण आंधौ है ।
बे मोल बे ठौड़ मिळै है
पण मंहगौ है ।