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प्रक्रिया / हरीश बी० शर्मा

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अकेलेपन से भयभीत
दीवारों से ही बतियाना
उलाहनों की चादर झड़कना
मनाना और रिझाना
थक-हारकर।
खुद भी रूठ जाना
दीवार पर टंगी तस्वीर का
मुस्कराते रहना
मुस्कराना।