रथ पर सीया करथि विलाप
ससुर दशरथ भानुकुलपति सन, जनक ऋषि सन बाप
देवर लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, जगत विदित प्रताप
कन्त रघुपति गजत ठाकुर, कर विजयी सरचाप
एहन सीया के हरल रावण, प्रबल पुर्वक पाप
कत छी रघुवंश भूषण, कतय गेला सरचाप
हाय सिंहनि त्रसित थर थर कांप
धीर धरु मन थिर करू सीया, रहत किछु दिनु ताप
तुलसीदास बिसरी सब छल करहूं हरि हरि जाप
यह गीत श्रीमति रीता मिश्र की डायरी से