रोज़ सुबह से रात तलक
टूटते हैं सपने
टूटती हैं उम्मीदें
टूटता है विश्वास
मगर हम
फिर भी नहीं होतीं निराश
नए सपनों,
नई उम्मीदों,
नई आशाओं के साथ
होती है फिर सुबह
और हर नई सुबह के साथ
हम औरतें फिर से जी उठती हैं
रोज़ सुबह से रात तलक
टूटते हैं सपने
टूटती हैं उम्मीदें
टूटता है विश्वास
मगर हम
फिर भी नहीं होतीं निराश
नए सपनों,
नई उम्मीदों,
नई आशाओं के साथ
होती है फिर सुबह
और हर नई सुबह के साथ
हम औरतें फिर से जी उठती हैं