Last modified on 17 सितम्बर 2011, at 14:59

तुम्हारे साथ / रजनी अनुरागी

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:59, 17 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रजनी अनुरागी |संग्रह= बिना किसी भूमिका के }} <Poem> क…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


कहीं दूर
मन की पगडंडियों पर विचरते हुए
मैंने पाया है खुद को तुम्हारे साथ
अपने समूचे अस्तित्व को महसूसती जीती

और तुमसे दूर तुम्हारे बिना मेरा अस्तित्व
मात्र हाड़-माँस की काया

मैं खोजती हूँ खुद को
अकेले इस जीवन को
तुम्हारे बिना जीते हुए