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शुक्रिया / नीलेश माथुर

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जिन्होंने मुझे
स्नेह दिया
उनका तहे दिल से
शुक्रिया,
जो खेले
मेरी भावनाओं से
और जिन्होंने
जख्म दिए
उनका भी शुक्रिया,
उम्र यूँ ही गुज़र जाएगी
बीता हुआ
हर एक लम्हा
याद आएगा ,
बीते हुए लम्हों को
जब आईने में
देखता हूँ
रंग बिरंगी सी
तस्वीर उभर कर आती है,
कहीं कहीं
कुछ धब्बे ज़रूर हैं
कुछ घाव
और चोट के
निशान भी हैं
और संघर्ष की
दास्तान है,
पर फिर भी
बहुत हसीन लम्हों में
सिमटी है ज़िन्दगी मेरी !