झरते सिन्दूरी पत्तों से
भर देता है माँग धूप की
पकता हुआ चिनार-
गोदी में अधलेटी वह
ललछौंही हो कर
सिमट गयी है
फैले सीने में चिनार के
और मूँद लेती है पलकें।
(1985)
झरते सिन्दूरी पत्तों से
भर देता है माँग धूप की
पकता हुआ चिनार-
गोदी में अधलेटी वह
ललछौंही हो कर
सिमट गयी है
फैले सीने में चिनार के
और मूँद लेती है पलकें।
(1985)