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बग़ीचा / रमेश तैलंग

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हरी घास का,
बिछा गलीचा ।
सुन्दर-सुन्दर
सजा बग़ीचा ।

ठंडी-ठंडी
हवा चल रही,
फूलों पर
तितली मचल रही,

यहाँ बैठकर,
मन बहलाओ ।
जैसे पंछी,
गाते, गाओ ।